कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने सरकारी कॉलेज में मारा छापा



कुमाऊं कमिश्नर ने हाल ही में कॉलेजों में शिक्षकों की अनुपस्थिति की बढ़ती शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में, उन्होंने कॉलेजों में एक औचक निरीक्षण करने का निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और गुणवत्ता बनी रहे।

इस औचक निरीक्षण की घोषणा करते हुए कमिश्नर ने कहा कि शिक्षकों की अनुपस्थिति न केवल छात्रों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, बल्कि यह समग्र शैक्षणिक वातावरण को भी कमजोर करती है। उन्होंने बताया कि उन्हें विभिन्न स्रोतों से इस समस्या की कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसमें छात्रों और अभिभावकों ने शिक्षकों की गैरहाजिरी के कारणों की ओर इशारा किया था।

कमिश्नर के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम ने कॉलेजों का दौरा किया, जहां उन्होंने विभिन्न विभागों में जाकर शिक्षकों की उपस्थिति की जांच की। इस दौरान, उन्होंने कक्षाओं में उपस्थित छात्रों से भी बातचीत की ताकि यह समझा जा सके कि शिक्षकों की अनुपस्थिति का उनकी पढ़ाई पर कितना असर पड़ रहा है। कई छात्रों ने बताया कि उनकी कक्षाओं में शिक्षकों की कमी के कारण उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

कमिश्नर ने कॉलेज के प्रबंधन के साथ संवाद करते हुए शिक्षकों की अनुपस्थिति के पीछे के संभावित कारणों पर चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई की जाएगी ताकि शिक्षकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके।

इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक स्तर को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी शिक्षकों ने अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के औचक निरीक्षण भविष्य में भी जारी रहेंगे ताकि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

कुमाऊं कमिश्नर ने सभी शिक्षण संस्थानों से अपील की कि वे अपने शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहें और छात्रों को एक बेहतर शैक्षणिक अनुभव प्रदान करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का संचार करना नहीं है, बल्कि छात्रों को उन कौशलों से लैस करना भी है जो उन्हें भविष्य में सफल होने में मदद करेंगे।

इस निरीक्षण के परिणामों के आधार पर, आगे की रणनीतियों और कार्यवाहियों की योजना बनाई जाएगी, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। यह कदम कुमाऊं के शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जो न केवल वर्तमान छात्रों के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी होगा।

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